The Seventh Seal (1957) Movie Review in Hindi

The Seventh Seal (1957) एक स्वीडिश मूल की ऐतिहासिक फैंटेसी ड्रामा फ़िल्म हैं।

यह फ़िल्म स्वीडिश मूल के प्रसिद्ध फ़िल्मकार इंग्मार बर्गमन जी द्वारा लिखित और निर्देशित करी गई हैं।

आपको बता दें, इंग्मार बर्गमन दुनिया के सबसे मशहूर यूरोपीय फ़िल्म निर्देशकों में से एक हैं।

उनकी द्वारा बनाई गई फिल्मों का नए दौर के सिनेमा को प्रेरणा देने में बहुत अहम योगदान हैं।

फ़िल्म The Seventh Seal (1957) एक black and white ड्रामा फैंटेसी फ़िल्म हैं।

इस फ़िल्म के ज्यादातर कलाकार Swedish मूल के हैं।

फ़िल्म में मुख्य भूमिका स्वीडिश अभिनेता मैक्स वोन सिडो ने निभाया हैं।

उनके साथ और भी अन्य कलाकार भी इस फ़िल्म में शामिल हैं।

इस फ़िल्म की कहानी को स्वयं इंग्मार बर्गमन ने लिखा है।

The Seventh Seal (1957) उनके फ़िल्म करियर की सबसे लोकप्रिय व सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक हैं।

फ़िल्म की कहानी

फ़िल्म की कहानी हमें मध्यकाल के यूरोप में लेकर जाती हैं।

महान राजा एंटोनियस ब्लॉक और उनका साथी धर्मयुद्ध लड़कर अपने वतन को बचाने के लिए लौट रहे होते हैं।

उनके देश में किसी तरह की महामारी फैल चुकी हैं।

राजा एंटोनियस ब्लॉक और उनका साथी मिलों दूर तक का सफर करने के बाद समुद्र के छोर के पास विश्राम कर रहे होते हैं।

वह उगते सूरज के साथ उठते हैं।

उगते सूरज को प्रणाम करने के बाद वो उस तट से प्रस्थान कर ही रहे होते है की तभी…

एक काला चोगा पहने हुए एक विचित्र सा इंसान उनके सामने प्रकट होता हैं।

एंटोनियस ब्लॉक: कौन हो तुम ?
विचित्र इंसान: मैं मौत हूं।

यह सुनकर राजा एंटोनियस हैरान हो जाते हैं। वह उससे और पूछते हैं…

एंटोनियस: तुम किसके लिए आए हों ?
मौत: तुम्हारे लिए।।

वह अपना चोगा फैलाकर राजा को पकड़ने के लिए जैसे आगे बढ़ता हैं तभी…

एंटोनियस: रुको!! तुम्हें शतरंज तो खेलना बहुत पसंद हैं।

मौत: हां!! थोड़ा बहुत माहिर तो हूं चाल चलने में!!

एंटोनियस: क्यों न मुझे ले जानें से पहले एक शतरंज का खेल हो जाए।

अगर तुम जीते तो मुझे ले जाना और अगर मैं जीता तो तुम मुझे आज़ाद कर दोगे।

“मौत” राजा एंटोनियस ब्लॉक की बात को स्वीकार कर लेता हैं और शतरंज का खेल शुरू हो जाता हैं।

अपनी चाल चलने के बाद मौत गायब हो जाता है।

और उनके सफर के दौरान जगह जगह पर उनसे मिलता रहता हैं तथा अगली बाज़ी चलने के लिए बोलता रहता हैं।

राजा एंटोनियस ब्लॉक बहुत चतुर होते है और वह अपनी बाज़ी बहुत संभल-संभल कर चलते हैं।

अपने सफर के दौरान वह और उनके साथी बहुत से लोगों से मिलते हैं।

वह उन लोगों के द्वारा उनके जीवन के कठिनाइयों और उनकी परेशानियों को सुनते और समझते हैं।

राजा एंटोनियस ब्लॉक नास्तिक विचारधारा में यकीन रखते हैं और उनका ये दावा है की भगवान जैसी कोई चीज़ इस दुनिया में नही हैं।

नास्तिक होते हुए भी राजा होने के नाते उनमें सही-गलत को चुनने और उसपे अडिग रहने का अटूट हौसला हैं।

फ़िल्म में राजा एंटोनियस जी के द्वारा हमें ज़िंदगी के बहुत से कतुसत्य को समझने व स्वीकार करने का बल मिलता हैं।

साथ ही यह फ़िल्म प्राचीन काल से चली आ रही यूरोपीय रूढ़िवादी सोच पर भी कटाक्ष करती हैं।

राजा एंटोनियस के सफर के साथ-साथ “मौत” के साथ उनका शतरंज का खेल भी जारी रहता हैं।

राजा एंटोनियस शतरंज के खेल में मौत का सामना कैसे करते हैं और इस खेल का क्या निष्कर्ष निकलता हैं।

यह जानने के लिए आपको ये फ़िल्म देखनी पड़ेगी।

फ़िल्म की कहानी के बारे में इतना बताना भी किसी गुनाह से कम नहीं।

इसीलिए मैंने इस फ़िल्म का बस कुछ हिस्सा ही बताया है ताकि फ़िल्म देखने का मज़ा खराब ना हों।

फ़िल्म के कलाकार

  1. मैक्स वोन सिडो – राजा एंटोनियस ब्लॉक
  2. गुन्नार ब्योर्नस्ट्रैंड – स्क्वायर जोंस (राजा का साथी)
  3. बेंग्ट एकरोट – मौत
  4. निल्स पोपे – कालाबाज जॉफ
  5. बीबी एंडरसन – मियां
  6. इंगा लैंडग्रे – करीन

फ़िल्म का निर्माण

The Seventh Seal (1957) फ़िल्म को स्वीडिश फ़िल्म निर्माता एलेन एकेलेंड ने निर्माण किया हैं।

उन्होंने अपने करियर में 50 से भी ज्यादा फिल्मों का निर्माण किया हैं।

फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी

गनर फिशर इस फ़िल्म के सिनेमेटोग्राफर है। उन्होंने अपने काम से इस फ़िल्म को मास्टरपीस बना दिया हैं।

उन्होंने इंग्मार बर्गमन के साथ उनकी और भी लोकप्रिय फिल्मों में काम किया हैं।

फ़िल्म के संगीत

एरिक नॉर्डगन एक स्वीडिश संगीतकार हैं।

इस फ़िल्म की धुनों की संरचना उनके द्वारा हुई हैं।

उन्होंने इस फ़िल्म में अपने संगीत से जान डाल दी हैं।

फ़िल्म के ऐसे कई दृश्य है जहां फ़िल्म देखते हुए संगीत आपके मनोरंजन को बढ़ा देगी।

फ़िल्म से जुड़ी कुछ खास बातें

The Seventh Seal (1957) फ़िल्म का शीर्षक “रहस्योदघाटन की किताब” से लिया गया हैं।

रहस्योदघाटन की किताब ईसाई बाइबल की अंतिम पुस्तक हैं।

“और जब मेमने ने सातवीं मुहर (Seventh Seal) खोली तो स्वर्ग में लगभग आधे घंटे तक सन्नाटा छा गया” इस अंश से इस फ़िल्म का शीर्षक लिया गया हैं।

फ़िल्म की कहानी हमें ज़िंदगी के कटुसत्य से बड़े मनोरंजक तरीके से रूबरू करवाती हैं।

इंग्मार बर्गमन द्वारा रचित मौत का किरदार अपने आप में ही कल्पना की एक नई उन्नति को दर्शाता हैं।

फ़िल्म के दृश्यों में एक ऐसा कमाल का ठहराओ महसूस होता हैं जिससे आपको लगेगा आप भी इस फ़िल्म के अंदर कोई एक पात्र हैं।

उन्होंने फ़िल्म के कुछ दृश्यों में तो ऐसी चुप्पी को दर्शाया है जहां पात्र कुछ भी नहीं बोलते।

लेकिन उनकी चुप्पी ही सब कुछ व्यक्त कर देती हैं।

फ़िल्म के दृश्यों में चुप्पी को भगवान की चुप्पी से तुलना करी गई हैं।

यह फ़िल्म तकनीकी रूप से एक दम निपूर्ण (Perfect) है और अपने समय से बहुत आगे हैं।

और यह कहना बिलकुल गलत नही होगा की यह एक मास्टरपीस फ़िल्म हैं।

दर्शकों और फ़िल्म समीक्षकों दोनों को ही यह फ़िल्म बहुत पसंद आई।

इस फ़िल्म के सफल हो जाने के बाद पूरी दुनिया इंग्मार बर्गमन जी की फैन हो गई।

फ़िल्म में “मौत” का किरदार इतना लोकप्रिय हुआ की फ़िल्म जगत के दूसरे फिल्मकार भी अपनी फिल्मों में वैसा किरदार गढ़ के इस फ़िल्म को homage देने लगे।

इन पॉप कल्चर के references और tribute से यह फ़िल्म 6 दशक बाद भी बहुत लोकप्रिय है।

The Seventh Seal ने पूरी दुनिया के महान फिल्मकारों को नई फ़िल्म बनाने की प्रेरणा दी।

फ़िल्म निर्देशक आंग ली को अपनी फ़िल्म क्राउचिंग टाइगर हिडेन ड्रैगन को बनाने की प्रेरणा इसी फ़िल्म से पाई।

दुनिया के और भी दूसरे फिल्मकारों और कलाकारों के लिए यह फ़िल्म आज भी प्रेरणास्त्रोत के लायक बनी हुई हैं।

यह फ़िल्म मेरी अब तक की सिनेमाघरों में देखी हुई सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक हैं।

हमें खुशी है की आपको हमारा लिखा हुआ इस फ़िल्म का रिव्यू पसंद आया।

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