Bicycle Thieves (1948) Movie Review in Hindi

Bicycle Thieves (1948) में बनी इतालवी मूल की सुप्रसिद्ध फ़िल्म हैं। इस फ़िल्म के निर्देशक Vitorio de Sica हैं जो की इतालवी सिनेमा के महत्वपूर्ण निर्देशकों में से एक हैं।

Vitorio de Sica ने अपने फिल्मी करियर में अनेकों बढ़िया फिल्में बनाई जिनमें से Bicycle Theives उनकी सबसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म हैं।

Bicycle Thieves (1948) इतिहास की उन सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है जिन्होंने दुनिया बदल दी। इस फ़िल्म को देखने के बाद पूरी दुनिया के फ़िल्म निर्माताओं और निर्देशकों को ऐसी फ़िल्म बनाने की प्रेरणा मिली।

हॉलीवुड के सुप्रसिद्ध निर्देशक Martin Scorsese से लेकर भारत में सत्यजीत राय, बिमल रॉय एवं अनुराग कश्यप तक सभी लोगो को इस फ़िल्म से प्रेरणा मिली।

महान फिल्मकार सत्यजीत राय जी इस बात का सबसे बढ़िया उदाहरण है, जिनको अपनी पहली फ़िल्म पाथेर पांचाली (1957) बनाने की प्रेरणा इसी फ़िल्म को देखने के बाद मिली।

Bicycle Thieves (1948) फ़िल्म की आपार सफलता ने पूरे दुनिया में फ़िल्म निर्माण के तरीके में क्रांति ला दी जिसे हम आज Neorealist movement के नाम से भी जानते हैं।

फ़िल्म की कहानी

Bicycle Thieves Antonio नाम के एक बेरोजगार व्यक्ति के संघर्षपूर्ण जिंदगी की कहानी व्यक्त करती है।

द्रित्य विश्व युद्ध के बाद ईटली में आर्थिक तंगी, भुखमरी, बेरोजगारी की बदहाल स्थिति होने के बावजूद, एंटोनियो को पोस्टर चिपकाने वाली एक नौकरी मिल जाती है।

नौकरी मिलने के बाद उसे यह पता चलता है की इस काम को करने के लिए उसके पास एक साइकिल होना अनिवार्य है।

Antonio के पास नई साइकिल खरीदने के लिए बिल्कुल पैसा नहीं हैं।

वह परेशान होकर यह बात अपनी बीवी मरिया को बताता हैं और इस नौकरी के अवसर को जानें देने का सोचता हैं।

मरिया इस नौकरी के अवसर को किसी भी हाल में नही गवाना चाहती है जिसके लिए वह अपने घर में कुछ कीमती सामान खोजना चालू कर देती हैं।

वह अपनी शादी में मिले कीमती पलंग के चादरों को बेचकर कुछ पैसे जुटा लेती है जिसके बदले में वह एक पुरानी साइकिल खरीदने में सफल रहती हैं।

नौकरी का पहला दिन

Antonio का बेटा ब्रूनो और उसकी मां मरिया आज बहुत खुश हैं क्योंकि आज एंटोनियो की नई नौकरी का पहला दिन हैं।

अपनी वर्दी पहन साइकिल लिए एंटोनियो अपने काम पर निकल जाता हैं।

काम करते वक्त वह अपनी साइकिल दीवार से सटा के खड़ी कर देता हैं और सीढ़ी पर चढ़कर फ़िल्म अभिनेत्री का पोस्टर चिपकाना चालू करता हैं।

तभी अचानक एक रहस्यमई इंसान धीरे से एंटोनियो की साइकिल के पास आता है और सरपट उसकी साइकिल लेकर फ़रार हो जाता हैं।

यह देखकर एंटोनियो की तो मानो जान ही निकल गई हो, उसकी बीवी द्वारा इतनी मेहनत से खरीदी साइकिल को किसी ने चोरी कर लिया।

एंटोनियो साइकिल चोर के पीछे भागता है लेकिन कोई फायदा नही, साइकिल चोर उसकी नज़र से बहुत दूर जा चुका होता हैं।

हताश एंटोनियो बिना साइकिल के जब घर पहुंचता है तो उसकी पत्नी मरिया और बेटा ब्रूनो बहुत दुखी होते हैं।

चोरी हुए साइकिल की तलाश

वह साइकिल चोरी होने की खबर पुलिस को देते है लेकिन पुलिस उनकी कोई खास मदद नही करती।

उसके बजाए उन्हें चोर बाज़ार में साइकिल खोजने की सलाह देती हैं।

एंटोनियो अपने बेटे के साथ चोर बाज़ार जाता है जहां उन्हें एक पुरानी साइकिल मिलती है जो की हूबहू उनके साइकिल जैसी होती हैं लेकिन उसका सीरियल नंबर अलग होता हैं।

एंटोनियो और ब्रूनो दोनों बहुत निराश हो जाते हैं लेकिन हार नही मानते हैं।

वह दोनों मिलकर चोर की तलाश में निकल पड़ते है। चोर की तलाश में वह शहर का कोना कोना छान मारते हैं।

एंटोनियो और चोर का आमना सामना

तभी शहर के एक अंजान हिस्से से गुजरते वक्त एंटोनियो की नज़र साइकिल चोर पे पड़ती हैं। वह आक्रोश में जलते हुए उससे हाथा पाई करने को उतारू हो जाता हैं और भीड़ जुटने लग जाती हैं।

भीड़ देखकर पुलिस वहा पहुंच जाती है और एंटोनियो और उस चोर को दूर करने लगती हैं बदले में एंटोनियो पुलिस को अपनी सफाई देता है की इस आदमी ने मेरी साइकिल चुराई हैं जिसके बदले में पुलिस उस आदमी के घर की तलाशी लेती है।

तलाशी लेने के बाद पुलिस को उस आदमी के घर से कुछ भी बरामद नहीं होता।

चोर के इलाके में उसके सहयोगियों के बीच अपने आपको फसा हुआ पाने पर एंटोनियो और उसका बेटा, वहां से निकलने में ही अपनी भलाई मानते हैं।

एंटोनियो का ज़मीर

रास्ते में एंटोनियो की नज़र एक महंगी साइकिल पर पड़ती है जो की एक जगह पर फुटबॉल स्टेडियम के पास खड़ी हैं।

एंटोनियो अपने आस पास नज़र दौड़ता है उसको उस साइकिल का मालिक कही नज़र नही आता हैं।

वह अपने आप से एक लंबी लड़ाई लड़ता है और फिर कुछ ऐसा करने की सोचता है जिसके लिए उसका ज़मीर उसको गवाही नहीं देता लेकिन वह भी मजबूर है अपने हालात से।

वह अपने बेटे ब्रूनो को कहता है की वह ट्राम पकड़ के अगले स्टॉप तक जाए और मेरे आने का इंतज़ार करें।

एंटोनियो ब्रूनो के जानें के बाद जैसे ही साइकिल उठाता हैं उसे लोग पकड़ लेते है। भीड़ शोर शराबा करके उसे घेर लेती है।

उधर ब्रूनो ट्राम नहीं पकड़ पाता। जब वह वापस आता है तो पिता को भीड़ से घिरा हुआ पाता हैं।

एंटोनियो को अपने किए का पछतावा

एंटोनियो को पुलिस थाने की तरफ ले जाया जा रहा हैं। ब्रूनो अपने पिता की ऐसी हालत देख रोने लगता हैं।

ब्रूनो का मासूम चेहरा देख साइकिल के मालिक का दिल पसीज जाता है। उसे उसपे दया आ जाती है और उसके पिता को छोड़ देने की बात करता हैं।

अंतिम दृश्य में एंटोनियो की आंखो से झर झर आसू बहने लगते हैं। शायद उसे अपने किए पर पछतावा होता है।

वह यह सोचता है की उसके कदम कैसे डगमगा गए। उसकी नैतिकता कैसे इतनी गिर गई।

उसका बेटा ब्रूनो अपने पिता का हाथ पकड़ के उसको दिलासा देता हैं और दोनों भीड़ में समा जाते हैं।

फ़िल्म के कलाकार

Neo realist फिल्मों की खासियत ही यही है की इन फिल्मों में कोई प्रसिद्ध कलाकार नहीं होता बल्कि रोजमर्रा में जीने वाले लोगों का इस्तेमाल करके उनके अभिनय से काम लिया जाता हैं।

फ़िल्म का कोई भी कलाकार कोई प्रसिद्ध कलाकार नहीं था लेकिन अपने अभिनय के कौशल से इन कलाकारों ने प्रसिद्धि पाई।

  1. एंटोनियो – लेंबर्टो मैजियोरानी
  2. ब्रूनो – एंजो स्टाइओला
  3. मरिया – लियानेला कैरल
  4. चोर – विटोरियो एंटोनकी

फ़िल्म से जुड़ी कुछ खास बाते

Bicycle Thieves (1948) द्रित्य विश्व युद्ध के बाद में बनी सबसे सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक हैं।

यह वो फ़िल्म है जिसने फ़िल्मकारिता की दुनिया में एक नए दौर को जन्म दिया।

युद्ध के बाद जब इटली का छद्म राष्ट्रवाद टूट गया था और फ़िल्म स्टूडियो बर्बाद हो चुके थे तब इस फ़िल्म ने नए दौर के सिनेमा को विकसित करने में मिल का पत्थर साबित हुआ।

द्रितीय विश्व युद्ध के बाद टूट के बिखर चुके इटली में जो आर्थिक पतन के बीच नैतिक मूल्यों को लेकर जो संघर्ष, लोगो के बीच था वह इस फिल्म की खूबसूरती हैं।

इस फ़िल्म का जादू आठ दशक बीत जाने के बाद भी नहीं खत्म हुआ और आज भी कायम हैं।

इस फ़िल्म से दुनिया के बहुत से फिल्मकारों को अपनी फ़िल्म बनाने की प्रेरणा मिली तथा नए दौर के सिनेमा में क्रांति लाने में कामयाबी हासिल हुई।

फ्रांस में New Wave Cinema Revolution, ईरान में ईरानी New Wave Cinema तथा भारत में Parallel Cinema की क्रांति इसी फ़िल्म की प्रसिद्धि से ही मुमकिन हो सकी।

कुल मिलाकर Bicycle Thieves (1948) अपने आप में मात्र एक फ़िल्म भर ही नहीं बल्कि इतिहास का एक खास दस्तावेज़ बन चुका हैं।

नए फिल्मकारों और कलाकारों के लिए यह फ़िल्म अध्यन और प्रेरणा का भरपूर स्त्रोत हैं।

मुझे खुशी है की आपको Bicycle Thieves (1948) फ़िल्म का review पसंद आया।

अपने विचार प्रकट करने के लिए comment box का सहारा ले और moviemartini को सब्सक्राइब करें।

और पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पे क्लीक करें।

Leave a Comment