जागो ! मरने का समय हो गया !!
– लियोन
फ़िल्म की रेटिंग: 5/5 मास्टरपीस ⭐⭐⭐⭐⭐
ब्लेड रनर (1982) हॉलीवुड की सुप्रसिद्ध साइंस फिक्शन नियो-नॉयर ड्रामा फ़िल्म हैं।
यह फ़िल्म अमेरिका के मशहूर साइंस-फिक्शन लेखक फिलीप के. डिक के प्रसिद्ध उपन्यास “डू एंड्रॉयड ड्रीम ऑफ इलेक्ट्रिक शीप” पे आधारित हैं।
इस फिल्म को ब्रिटिश फिल्मकार रिडली स्कॉट द्वारा निर्देशित किया गया है जोकि एलियन (1979) जैसी मशहूर फिल्म बना चुके हैं।
फिल्म की कहानी भविष्य में साल 2019 के लॉस एंजेलिस शहर पे आधारित हैं।
फिल्म ब्लेड रनर हमारे सामने भविष्य की एक ऐसी विचित्र दुनिया पेश करती है जहां इंसान ने तरक्की की राह पर इतना सब कुछ पा लिया है की वह पृथ्वी के लोगो की बदहाल स्थिति की चिंता करना ही भूल गया है।
उड़ती गाडियां, कमाल के आधुनिक यंत्र, चमकती नियॉन लाइट्स, बहुमंजिला इमारतें, कोका कोला के वास्तविक लगने वाले विज्ञापन बोर्ड और धरती से दूर ऑफ वर्ल्ड में रहने के सपनों के बीच, पृथ्वी का पर्यावरण ऐसा डगमगाया हुआ है की पूरा आसमान प्रदूषण के काले बादलों से ढका हुआ है जोकी काली रात से भी ज्यादा भयावह लगता है, दिन का सूरज निकले अरसा बीत गया है।
हर वक्त तूफान व बारिश होती रहती है।
एक नई दुनिया आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं ऑफ वर्ल्ड कॉलोनी में…
-विज्ञापन
ग्लोबल वार्मिंग, प्रदुषण व अत्याधिक जनसंख्या के कारण पृथ्वी का वातावरण दूषित हो गया हैं।
कम जगह, ज्यादा लोग होने के कारण फुटपाथ पे रहना एक आम बात हैं।
पृथ्वी की ऐसी बद्तर हालत देखकर लोग धरती से दूर ऑफ वर्ल्ड कॉलोनी (धरती के बाहर बनी दुनिया) में रहने का सोच रहे हैं। इस दुनिया को भविष्य की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इंसानों के पृथ्वी से बाहर बसने के लिए विकसित किया है।
फिल्म की कहानी ऐसी ही एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के इर्द गिर्द घूमती है।
टायरेल कॉरपोरेशन भविष्य की एक ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनी हैं जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में ऐसी उपलब्धि हासिल करली है जो अभी तक कोई दूसरा नहीं कर सका।
टायरेल कॉरपोरेशन इंसान की तरह दिखने वाले “बायो इंजीनियर इंसान” (कृत्रिम इंसान) की संरचना करने में कामयाब हो चुके है।
इन्होंने इंसान जैसे दिखने वाले कृत्रिम इंसान विकसित कर लिए है जोकि मनुष्य से अधिक बलशाली है।
अधिक बलशाली होने की वजह से उनका दिमाग इंसान जितना विकसित नहीं हो पाया है जिसके कारण उनके जीने की क्षमता मात्र 4 वर्ष ही हैं।
अधिक बलशाली होने की वजह से इनका इस्तेमाल मुश्किल कामों को अंजाम देने तथा पृथ्वी से बाहर की दुनिया को अनुभव करने के लिए किया जाता हैं।
।। हमारा मकसद हैं इंसान से बढ़कर इंसान बनाना ।।
– एल्डोन टायरेल
इन इंसान रूपी “कृत्रिम इंसानों” को फिल्म में रिप्लिकेंट (Replicant) नाम दिया गया हैं।
इन रिप्लिकेंट्स की मदद से ही ऑफ वर्ल्ड को विकसित किया गया है।
रिप्लिकेंट्स के साथ ऑफ वर्ल्ड में इंसानों द्वारा दुईयम दर्जे के प्राणी जैसा व्यवहार किया जाता हैं।
इंसान इनका इस्तेमाल मजदूरी के लिए करते है और मादा रिप्लिकेंट का इस्तेमाल संभोग वस्तु के रूप में करते है।
इंसानों द्वारा रिप्लिकेंट्स के साथ होते इस बुरे बर्ताओ और शोषण को सहते हुए कई बार रिप्लिकेंट्स और इंसानों के बीच खूनी झड़प भी हो चुका हैं जिसके कारण रिप्लिकेंट्स ने इंसानों को मौत के घाट उतार दिया है।
यही से रिप्लिकेंट्स और इंसानों के बीच अस्तित्व के जंग का संघर्ष शुरू हो जाता हैं।
रिप्लिकेंट्स का ऐसा उग्र बर्ताओ देख टायरल कॉरपोरेशन ने उन्हें पृथ्वी पे प्रतिबंध कर दिया है।
नतीजन, पृथ्वी पे रह रहे सभी रिप्लिकेंट्स अवैध घोषित कर दिए गए और उन्हें मार दिया गया।
फिल्म में रिप्लिकेंट्स को मारना “रिटायर” करना कहलाता हैं। रिप्लिकेंट्स को मारने का काम पुलिस विभाग खास लोगों को सौंपती हैं जोकि सिर्फ रिप्लिकेंट्स को मारने का ही काम करती है।
यह खास लोगों को ही ब्लेड रनर कहते है।
इनका काम उग्र रिप्लिकेंट्स और मनुष्य के बीच अंतर खोजना, उनका पता लगाना और उन्हें पकड़ने के बाद “रिटायर” कर देना होता हैं।
फ़िल्म की कहानी
फिल्म की पटकथा हैंपटन फेंचर और डेविड पीपल्स ने लिखी है और बहुत जबरदस्त लिखी हैं।
फिल्म की कहानी कहीं भी बोर नही करती हैं।
फिल्म की लंबाई को ध्यान में रखते हुए बहुत कम समय में बहुत कुछ दर्शकों को बताने की यह फिल्म कोशिश करती हैं और उसमें यह कामयाब भी होती हैं।
फिल्म ब्लेड रनर लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग की एक स्पेशल यूनिट के ऑफिसर “रिक डेकार्ड” की कहानी हैं जो की अपनी नौकरी और अकेलेपन से भरी जिंदगी से नाखुश होता हैं।
अपनी नौकरी छोड़ देने के बाद उसके विभाग का पूर्व सहकर्मी (गैफ) और उसका सुपरवाइजर (ब्रायंट) उसे ब्लेड रनर एजेंट बनने के लिए दबाव डालते हैं और वह ये बात मान लेता है।
उसके साथी उसको कुछ उग्र एंड्रॉयड्स के बारे में बताते है जोकि ऑफ वर्ल्ड से भागकर पृथ्वी पर अवैध रूप से आ घुसे हैं।
रिक डेकार्ड का मिशन है की वह इन खतरनाक एंड्रॉयड नेक्सस-6 रिप्लिकेंट्स के समूह: लियोन, प्रिस, ज़ोरा और राय बैटी को खोजे और उनको रिटायर करे।
अपने मिशन के दौरान वह कृत्रिम इंसानों के रचइता एवं टायरेल कॉरपोरेशन के संस्थापक एल्डोन टायरेल से मिलता हैं जहां उसे एंड्रॉयड के खासियत, दोष और उनकी खामियों के बारे में पता चलता है लेकिन जैसे जैसे वह इस मिशन की गहराई में घुसता है उसे अपने ही पहचान के ऊपर सवाल होने लगता हैं।
इस फिल्म की कहानी के बारे में इतना भी बताना गुनाह से कम नहीं होगा लेकिन आप लोगो के लिए ही मैं सिर्फ कहानी का सारांश ही बताता हूं ताकि फिल्म के प्रति आपका मज़ा किरकिरा ना हो।
फिल्म की कहानी रोमांच और ड्रामा से भरी हुई हैं। और अगर आप अभी नौजवान हैं और फिल्म के प्रति रुझान रखते हैं तो आप यह फ़िल्म हर हालत में एक बार तो जरूर देखिए।
फ़िल्म के पात्र/कलाकार
फिल्म से जुड़े खास किरदार एवं कलाकार
- रिक डेकर्ड – हैरिसन फोर्ड
- रेचल – शीन यंग
- राय बैटी – रर्जर हॉयर
- प्रीस – डारिल हन्नाह
- गैफ – एडवर्ड जेम्स ओल्मोज
- लियोन कोवलस्की – ब्रायन जेम्स
- जे.एफ सेबेस्टियन – विलियम सैंडरसन व अन्य।
फ़िल्म के सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को बहुत बढ़िया से निभाया हैं खासकर हैरिसन फोर्ड और रर्जर हॉयर ने।
फ़िल्म के मुख्य अभिनेता हैरिसन फोर्ड जोकि इंडियाना जोन्स जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते है उन्होंने अपने अभिनय कौशल से अपने किरदार “रिक डेकर्ड” को बहुत शिद्दत से निभाया हैं।
लेकिन फिल्म के खलनायक “रॉय बैटी” को अभिनेता रर्जर हॉयर ने अपने अभिनय कौशल से हमेशा के लिए अमर कर दिया।
उन्होंने रॉय बैटी के किरदार को पर्दे पर जिया हैं और यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा की इस फिल्म को लोग हीरो से ज्यादा खलनायक के किरदार के लिए याद रखेंगे।
फ़िल्म में रिक डेकर्ड की प्रेमिका रेचल का किरदार सीन यंग ने निभाया हैं और जो भी इस फ़िल्म को एक बार भी देखेगा उसे रेचल से प्यार हो जायेगा।
वह इस फिल्म में इतनी सुंदर लगी है की दर्शक उन्हें पाने की कल्पना करने लगेंगे।
फ़िल्म के संगीत
हॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार “वैनगेलिस” ने फिल्म का संगीत दिया है ।
उन्होंने अपने संगीत से मानो भविष्य की दुनिया हमारी आंखों के सामने जिंदा कर दी हो।
फिल्म का संगीत वाकई में भविष्य की दुनिया को महसूस कराता है।
फिल्म के साउंडट्रैक्स फिल्म की गहराइयों को समझने में मदद करते हैं।
वैनगेलीस ने इस फिल्म के संगीतो को बनाने के लिए सिंथसाइजर यंत्र का इस्तेमाल किया है जो की 1982 के ज़माने के प्रचलन में बस आया ही था।
सर वैनगलिस ने अपने सोच बुझ, हुनर और अपनी बुद्धि की मदद से हॉलीवुड जगत में एक नया बेंचमार्क स्थापित किया जो की नए ज़माने के संगीतकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना।
वह सिंथेसाइजर यंत्र को भविष्य की आवाज़ मानते थे और यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा की वह एकदम सही थे।
आज फिल्म उद्योग में सिंथसाइजर का इस्तेमाल एक आम बात हैं।
फिल्म से जुड़े अन्य तकनीशियन
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी लाजवाब हैं। फिल्म के सिनेमेटोग्राफर जॉर्डन क्रोनेनवर्थ हैं।
फिल्म का प्रोडक्शन डिज़ाइन भी एक दम बेमिसाल हैं। सेट डिजाइनर्स ने अपनी सोच के अनुसार 1982 के ज़माने में 2019 की दुनिया को वास्तविक रूप देने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है।
कुल मिलाकर फिल्म का ऐसा कोई भी विभाग नहीं है जिसने अपना काम बखूबी तरीके से ना निभाया हो।
फ़िल्म से जुड़े खास तथ्य
सर रिडली स्कॉट, फिलीप के डिक के बहुत बड़े फैन थे और उन्होंने जब से उनकी किताब “डू एंड्रॉयड ड्रीम ऑफ इलेक्ट्रिक शीप” पढ़ी थी तभी से उन्होंने उसपे फिल्म बनाने का सोच लिया था।
जब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी तब इस फिल्म को दर्शकों ने कुछ खास पसंद नही किया।
जिसके कारण यह फिल्म सिनेमाघरों में असफल रह गई।
अच्छी कमाई ना हो पाने के कारण इस फ़िल्म के निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
फिल्म के असफल रहने का सबसे बड़ा कारण था फिल्म का “विषय” जोकि उस ज़माने के दर्शकों के समझने के लिए बिल्कुल नया और थोड़ा पेचीदा था।
और दूसरा कारण था फिल्म का एडल्ट रेटेड (18+) होना। फिल्म में ऐसे कई दृश्य है जोकि आपको फिल्म देखते वक्त उत्तेजित कर सकते है तो कृपया करके इस फिल्म को आप अकेले ही देखे।
ब्लेड रनर इकलौती ऐसी फिल्म है जिसने साइंस फिक्शन फिल्म श्रेणी में और भी कई प्रकार की श्रेणियों को जन्म दिया है जिनमे से एक को हम Cyberpunk film श्रेणी नाम से भी जानते हैं।
यह फिल्म साइंस फिक्शन साइबरपंक श्रेणी की होने के साथ साथ नियो नॉयर श्रेणी की भी है।
निष्कर्ष
फिल्म ब्लेड रनर आज के समय से बहुत आगे की दुनिया का एक रचनात्मक झलक है जो इंसान के अस्तित्व और पहचान पर सवाल खड़े करती है।
1982 में बनाई गई काल्पनिक 2019 की दुनिया और बीते हुए वास्तविक साल 2019 में बहुत फर्क हैं।
फिल्म के अंत में खलनायक द्वारा कहे गए उसके स्वगत विचार हमें भावनात्मक रूप से सोचने पे मजबूर कर देती है की आखिर हम इंसानों में ऐसा क्या है जो की हमें इंसान बनाती है।
ब्लेड रनर की लोकप्रियता आज भी लोगो के बीच वैसी ही बनी है।
ब्लेड रनर फिल्म समय से परे है, यह उन फिल्मों में से है जो समय के साथ और भी ज्यादा लोकप्रिय होती जायेंगी।
फिल्म ब्लेड रनर (1982) मेरी सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक हैं इस फिल्म का विषय, इसकी संरचना, इसकी कहानी व इसका कॉन्सेप्ट मेरे दिल के बहुत करीब हैं।
इस फिल्म के प्रति और इस रिव्यू के द्वारा मैं इस फिल्म को बनाने वाले लोगों का दिल से धन्यवाद करता हूं और अपना सम्मान जाहिर करता हूं।
मुझे खुशी है की आप लोगो को मेरा यह रिव्यू पसंद आया। कॉमेंट करके बताइए की आपको यह फिल्म कैसी लगी और भी बढ़िया बढ़िया फिल्म रिव्यू पढ़ने के लिए moviemartini को सब्सक्राइब करें।
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