Gupt: The Hidden Truth (1997) में आई बॉलीवुड की सबसे बढ़िया क्राइम थ्रिलर फ़िल्म हैं।
मुझे आज भी याद है जब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी, लोग इस फ़िल्म को देखने के लिए पागल थे।
1997 में इस फ़िल्म की टिकटें मिलना भी कोई संघर्ष से कम नहीं था।
आज तो लोग फ़िल्म देखने के लिए सिनेमाघर तक भी जानें को टाल रहे हैं, नहीं तो ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन ओटीटी पे ही देख ले रहे है।
आज के लोग 1997 के ज़माने में इस फिल्म के लिए जो पागलपन था वह कभी नहीं समझ सकेंगे।
Gupt: The Hidden Truth फ़िल्म के निर्माता गुलशन राय थे।
उनकी कंपनी त्रिमूर्ति फ़िल्म ने ही इस फिल्म का निर्माण किया है।
फ़िल्म की कहानी राजीव राय जी ने लिखी है तथा पटकथा को शब्बीर बॉक्सवाला के साथ मिलकर लिखी है।
फ़िल्म का निर्देशन भी राजीव राय साहब ने ही किया है।
राजीव राय जी बॉलीवुड के सबसे बढ़िया थ्रिलर फ़िल्म डायरेक्टर हैं।
गुप्त फ़िल्म से पहले विश्वात्मा (1992) और मोहरा (1994) जैसी फ़िल्में भी बना चुके है जोकि उनकी सबसे सुपर हिट फिल्में हैं।
फ़िल्म में मुख्य किरदार की भूमिका बॉबी देओल जी ने निभाया हैं।
फ़िल्म की मुख्य अभिनेत्री की भूमिका मनीषा कोइराला जी और काजोल जी ने निभाया है।
सहायक कलाकार के रूप में ओम पुरी जी, राज बब्बर जी, परेश रावल जी, कुलभूषण खरबंदा साहब, रज़ा मुराद जी और इत्यादि ने अपनी भूमिका निभाई हैं।
फ़िल्म की कहानी
एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा
गुप्त फ़िल्म की कहानी एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा और सस्पेंस से भरपूर हैं।
फ़िल्म की शुरुआत कुछ विशेष लोगो की सभा/बैठक में होने से शुरू होती है।
शहर के गवर्नर जयसिंह सिन्हा, दिग्गज उद्योगपति मेघनाद चौधरी, सामाजिक संघ नेता विलास राव व अन्य सभी लोग मुख्यमंत्री जी के साथ बैठक में शामिल होते हैं।
राज्यपाल जयसिंह सिन्हा शहर के नामी व्यक्तियों में से एक है तथा उनका बड़े लोगों के साथ उठना बैठना एक आम बात है।
उनके परिवार में उनकी पत्नी शारदा के अलावा दो और सदस्य है। उनका बड़ा बेटा साहिल और छोटा बेटा हर्ष।
इतना नेक व ईमानदार व्यक्ति होने के बावजूद उनका बड़ा बेटा साहिल उनकी बिल्कुल इज्ज़त नहीं करता। वह उनसे सीधे मुंह बात तक नहीं करता।
वजह यह है की साहिल के पिता जयसिंह उसके सौतेले पिता है। बेशक सौतेले ही सही, लेकिन साहिल के पिता ने कभी उसके साथ बुरा बरताओ नहीं किया।
उसकी मां शारदा उसके इस व्यवहार से काफ़ी चिंतित रहती हैं।
आज साहिल अपने बचपन की दोस्त ईशा से कई सालों बाद मिल रहा हैं। वह दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।
साहिल की एक और दोस्त है: शीतल
शीतल मेघनाथ चौधरी की बेटी है। वो भी साहिल को चाहती होती है लेकिन साहिल उसे सिर्फ एक अच्छा दोस्त समझता हैं।
साहिल, ईशा और शीतल का लव अफेयर
साहिल, ईशा और शीतल के किरदार के ज़रिए इनके बीच love triangle को भी दिखाया गया हैं।
आज साहिल का जन्मदिन है और जयसिंह जी ने अपने बेटे को खुश करने के लिए बहुत बड़ी पार्टी का आयोजन किया हैं।
पार्टी में जयसिंह खुशी में साहिल और शीतल की सगाई की घोषणा कर देते हैं।
यह सुनते ही साहिल आग बबूला हो उठता हैं और दोनों के बीच कहा-सुनी हो जाती हैं।
गुस्से में आकर साहिल चाकू जयसिंह पर वार कर ही चुका होता है की उसकी मां शारदा बीच में आ जाती हैं।
अगले दिन डॉ. गांधी के घर पर साहिल काफी शराब पी लेता है।
डॉक्टर गांधी सिन्हा परिवार का family doctor होता हैं।
वह उसे अपने सौतेले पिता की बात मानने की सलाह देता है।
इसके बाद वह नशे में धुत होकर घर वापिस आता हैं और अपने पिता से मिलने के लिए उसके कमरे में जाता है।
रूम में घुसते ही उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती हैं, मानो सारा नशा ही टूट गया हो।
किसी ने उसके पिता को चाकू से मार दिया हैं।
वह जयसिंह को देख ही रहा होता है की उसकी मां शारदा आ जाती हैं।
वो देखती है साहिल अपने सौतेले पिता के पास चाकू के साथ खड़ा हैं।
उसपर अपने सौतेले पिता की हत्या करने का आरोप लग जाता हैं।
उसकी मां अदालत में उसके खिलाफ गवाही दे देती है और उसे 14 साल की जेल हो जाती हैं।
साहिल को हो गई जेल
जेल जाने से पहले वह एक अनजान नेकलेस शीतल को थमा देता है जोकि उसे जयसिंह के कमरे में मिला था।
जेल में उसके साथ बहुत बर्बरता होती है लेकिन उसकी मदद एक बूढ़ा कैदी करता हैं। वह उसे बेगुनाह मानता हैं।
वहीं उसे जेल से भागने का गुप्त तरीका बताता हैं।
साहिल किसी भी तरह असली हत्यारे को पकड़ने और अपने आप को निर्दोष साबित करना चाहता हैं।
साहिल प्लान बनाता है और प्लान के मुताबिक जेल से भागने में कामयाब रहता हैं।
जेल से भागने में शीतल भी उसकी मदद करती हैं।
जेल से भागने के बाद साहिल को पकड़ने की जिम्मेदारी पुलिस ऑफिसर उधम सिंह को सौंपी गई हैं।
साहिल जैसे तैसे जान बचाकर ईशा से उसके घर पर मिलता हैं।
इसके बाद वह डॉ. गांधी से कुछ सलाह लेने के लिए उनके घर जाता हैं।
उनके घर पहुंचते ही उसे उनकी लाश मिलती हैं।
उसके कुछ करने से पहले ही एक नौकर उसे देख लेता हैं।
इस तरह साहिल पर एक और खून का इल्ज़ाम लग जाता हैं।
साहिल अभी भी चुप नहीं बैठा है। वह असली हत्यारे की तलाश में लगा हुआ हैं।
एक एक करके उसे अपने पिता के जान पहचान के लोगों पर ही शक होने लगता हैं लेकिन वह सभी बेकसूर निकलते हैं।
साहिल और उधम सिंह का सामना
वहीं उधम सिंह को जांच पड़ताल से यह यकीन हो जाता है की साहिल बेगुनाह हैं।
जिन चाकुओं से दोनों कत्ल हुए थे वो दोनों एक ही सेट के हिस्सा हैं।
वह हुबहू चाकू के सेट उन्हें ईश्वर दीवान के घर से मिलता हैं।
पुलिस ईश्वर दीवान को गिरफ्तार कर लेती हैं। ईश्वर दीवान अपना जुर्म कबूल कर लेता हैं।
वह पुलिस को बयान देता है की जयसिंह उसकी बेटी ईशा को अपने घर की बहु नहीं बनाना चाहता था इसलिए उसने उनकी हत्या कर दी।
और अपना अपराध छुपाने के लिए उसने डॉ. गांधी को भी मार दिया।
शीतल यह सारी बात साहिल को बताती हैं।
जयसिंह का छोटा बेटा हर्ष, उस नेकलेस के साथ खेल रहा होता हैं जो साहिल को घटनास्थल पे मिलता हैं।
अनजाने में उससे वह नेकलेस खुल जाता हैं जिसमें तस्वीर होती हैं और इससे यह खुलासा होता है की असली हत्यारा ईश्वर दीवान नहीं बल्कि ईशा हैं।
इसी बीच ईशा उधम सिंह पर हमला कर देती हैं जिससे उधम सिंह गंभीर रूप से घायल हो जाता हैं।
नेकलेस में ईशा को देखकर साहिल सीधा ईश्वर दीवान से मिलता हैं।
ईश्वर दीवान से उसे पता चलता हैं की सारे खून असल में ईशा ने किए थे ताकि वह साहिल से दूर न हो सके।
ईश्वर दीवान बताता हैं की वो हर इंसान को मार डालेगी जो भी कोई उसके और साहिल के बीच आयेगा।
साहिल सब कुछ समझ जाता हैं और वो फ़ौरन शीतल को इतल्ला करने निकलता हैं।
दरवाज़े की घंटी बजती हैं। शीतल दरवाजा खोलती हैं। सामने और कोई नहीं बल्कि ईशा खड़ी होती हैं।
अनजान शीतल उसका स्वागत करती हैं लेकिन ईशा उस पर चाकू से हमला करने लगती हैं।
लेकिन साहिल वक्त रहते शीतल को समय पर आकर बचा लेता हैं।
ईशा अपना दूसरा वार बस कर ही चुकी होती हैं की पुलिस वहा आ जाती हैं और उसे गोली मार देती हैं।
साहिल ईशा को अपनी बाहों में पकड़ लेता है जहां वो अपनी आखरी सांस लेती हैं।
फ़िल्म के कलाकार
- बॉबी देओल – साहिल सिन्हा
- काजोल – ईशा दीवान
- मनीषा कोइराला – शीतल चौधरी
- राज बब्बर – जयसिंह सिन्हा
- दलीप ताहिल – मेघनाथ चौधरी
- परेश रावल – ईश्वर दीवान
- ओम पुरी – इंस्पेक्टर उधम सिंह
- शरत सक्सेना – विलास राव एवं प्रेम चोपड़ा, रज़ा मुराद और इत्यादि।।
फ़िल्म के संगीत
विजू शाह जी ने इस फ़िल्म के संगीतों को रचा हैं। और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही हैं की इस फिल्म का हर एक गाना आपके दिल में उतर जायेगा।
विजू शाह जी ने अपनी संगीत से कला का एक ऐसा नमूना पेश किया हैं जिसे लोग आज 25 साल के बाद भी नहीं भूले हैं।
जैसा की हम जानते है की बॉलीवुड का तकनीक हॉलीवुड जितना उन्नत नहीं हैं और 1997 के ज़माने में तो बात ही छोड़ दीजिए, लेकिन फिर भी विजू शाह जी ने इलेक्ट्रॉनिक धुनों को सिंथेसाइजर यंत्र के साथ मिलाके एक दम अद्भुत संगीत पेश किया हैं।
फ़िल्म का गीत “दुनिया हसीनों का मेला” उदित नारायण साहब द्वारा गाया हुआ गाना सुनने से मानों पूरे तन बदन में आग लग जाती है और नाचने का जी करता हैं।
फ़िल्म से जुड़े खास तथ्य
- फ़िल्म दर्शकों और विश्लेषकों दोनों को ही बहुत पसंद आई।
- गुप्त फ़िल्म ने 1997 के ज़माने में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
- महज़ 9.50 करोड़ रुपए की लागत से बनी फ़िल्म ने 33.50 करोड़ का बिजनेस किया।
- 43वें फिल्मफेयर अवार्ड्स समारोह में फ़िल्म गुप्त: द हिडन ट्रुथ को 8 नॉमिनेशंस प्राप्त हुए जिसमें से बेस्ट फ़िल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट विलेन, इन 3 श्रेणियों में फ़िल्म को जीत हासिल हुई।
- बॉबी देओल जी के करियर की यह दूसरी फ़िल्म थी।
- Further, उन्होंने फ़िल्म बरसात से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करी थी।
- उनके लंबे बाल, उनका डांस करने का स्टाइल, सनी देओल के छोटे भाई और महान अभिनेता धर्मेंद्र जी के पुत्र होने के कारण उन्हें लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया।
- फ़िल्म में शीतल का किरदार पहले रवीना टंडन जी को प्राप्त हुआ था।
- लेकिन किसी कारण उन्हें इस फ़िल्म से हटना पड़ा further यह रोल मनीषा कोइराला जी को मिला।
- राजीव राय साहब ने फ़िल्म के रिलीज़ होने से पहले किसी को भी यह फ़िल्म नहीं दिखाई।
- यहां तक कि अपने पिताजी गुलशन राय जी को भी नहीं दिखाई।
- राजीव राय जी नहीं चाहते थे कि कहानी का सस्पेंस रिलीज़ से पहले बाहर आ जाएं।
- Finally, फ़िल्म के रिलीज़ होते ही लोग फ़िल्म देखने के लिए थिएटर पर टूट पड़े थे।
- फिल्म के गाने आज भी लोगो के दिल में बसे हुए हैं।
- विजू शाह द्वारा बनाए गए इस फ़िल्म के हर एक गीत एक से बढ़कर एक हैं।
- फ़िल्म रिलीज़ के बाद विजू शाह जी पर गानों के धुनों को चोरी करने का आरोप लगा।
- जिसकी वजह से उन्हें अच्छे गाने बनाने के बावजूद कोई अवार्ड नहीं मिला।
मुझे खुशी है की आपको मेरा लिखा हुआ Gupt: The Hidden Truth फ़िल्म का रिव्यू पसंद आया ।
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